भारतीय जनता पार्टी के लिए यह दौर यादगार है क्योंकि केंद्र से लेकर अनेक राज्यों में उसकी सरकारें हैं। जीत का दौर चल रहा है और किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह एक यादगार और स्वर्णिम दौर के तौर पर याद किया जाता है। जीत का यह रोड मैप बनाने में पार्टी के आलाकमान और वरिष्ठ नेताओं के परामर्श की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, पार्टी को यहां तक लाने में अब तक के लगभग सभी राष्ट्रीय अध्यक्षों की अपने-अपने दौर में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन 2014 से जब से भारतीय जनता पार्टी केंद्र में आई है इसके संगठन का शीर्ष नेतृत्व अपनी चुनावी रणनीति और चुनावी सफलताओं के लिए चर्चाओं में बना हुआ है। जब सरकार बनी तब वर्ष 2013-2014 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे, उनके बाद 2014 से 2017 और फिर 2017 से 2020 तक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह रहे और उनके बाद 2020 से अब तक J.P. Nadda राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पार्टी की बागडोर जब अमित शाह ने संभाली उसके बाद से भाजपा की सफलता का ग्राफ शीर्ष ही छूता गया और वही सफलता J.P. Nadda के कार्यकाल में भी कायम है लेकिन वर्ष 2024 में उनकी असल परीक्षा बाकी है जब लोकसभा चुनाव होने हैं और इस चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें गढ़ी हुई हैं फिलहाल विधानसभा चुनावों के बाद तो फीलगुड है ही।
सफलता का दौर, 2024 में बड़ा इम्तिहान
बिहार के पटना में 2 दिसंबर 1960 को जन्में और मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के रहने वाले श्री जेपी नड्डा सहज और सरल व्यक्तित्व के कारण राजनीति में उनका कद तेजी से बढ़ता गया, उनका राजनीतिक कौशल निश्चित ही चर्चाओं में रहा है लेकिन इस दौर में जो एक बात महत्वपूर्ण है और वह ये कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक सिर चढ़कर बोल रहा है, अब तक के चुनावों में नरेंद्र मोदी ही भाजपा के लिए प्रमुख चेहरा रहे हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर J.P. Nadda का असल इम्तिहान 2024 के लोकसभा चुनाव में ही नजर आएगा हालांकि राजनीतिक पंडित कहते हैं कि उनके दौर के लिए सबसे सकारात्मक बात है कि इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपना ओरा पार्टी की चुनावी जीत में काफी मददगार साबित होता आ रहा है, लेकिन बावजूद इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अब तक भाजपा को मिली सफलता में जेपी नड्डा का मार्गदर्शन भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।
जेपी नड्डा का राजनीतिक सफर
पटना विश्वविद्यालय से बीए करने के बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की। युवावस्था में जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए गए विभिन्न आदोलनों में सक्रिय रहे। वे वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधान सभा में विधायक बने और नेता प्रतिपक्ष चुने गए। वर्ष 1998 में दोबारा चुनाव जीते और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। 2010 में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए। 2012 में राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने गए। 2014-2019 तक भारत सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की कमान संभाली। जून 2019 में नड्डा जी को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी 2020 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
कांग्रेस शासित राज्यों में भी भाजपा का परचम
उनका ये दौर पार्टी के लिए फीलगुड वाला है क्योंकि पार्टी की केंद्र में सरकार है और देश के अनेक राज्यों में भी भाजपा की ही सरकारें हैं। उनके नेतृत्व की खासियत की बात करें तो उनका शांत व्यवहार, सभी से समन्वय और गहरी राजनीतिक समझ महत्वपूर्ण है। सरकार में चाहें वे मंत्री पद पर रहे हों या फिर संगठन के सर्वोच्च पद पर उनका व्यवहार उनकी पहचान बना हुआ है। कार्यकर्ताओं के बीच भी उनकी गहन छवि है और अब तक उनके नेतृत्व में देखें तो हाल ही में भाजपा ने कांग्रेस शासित दो बडे़ राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने में सफलता हासिल की है, हालांकि जीत का श्रेय पूरी टीम को जाता है लेकिन सेहरा तो नेतृत्व के सिर ही बंधता है, बहरहाल उनका यह फीलगुड कार्यकाल भाजपा के लिए सफलता की कहानी से भरा हुआ है, अब सबसे बड़े इम्तिहान की बारी है, देखना दिलचस्प होगा कि 2024 में उनके नेतृत्व में भाजपा सफलता के पथ पर किस शीर्ष को छूती है।