आपको याद होगा तो एक गीत जो मुख्यमंत्री बाबा योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर लिखा गया खूब हिट हुआ था- ‘यूपी में बाबा है, यूपी में बाबा’ यह उनके उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद आए बदलावों को प्रदर्शित कर रहा था, साथ ही उनके आने का राजनीतिक प्रभाव कितना वृहद था उसका भी परिचायक था। इस गीत में उनके प्रति भरोसा, उनसे सुधार की उम्मीदें सभी समाहित थीं, सच तो यह है जो प्रदेश में आम व्यक्ति द्वारा महसूस भी किया जा रहा है कि उनके आने के बाद उत्तर प्रदेश को एक नया चेहरा मिला है क्योंकि पूर्व के वर्षो में यूपी के नाम से ही लोग अनमने हो जाया करते थे, बदलाव ये आया कि अब यूपी विकास का एक पथ बनकर तैयार है, नई राह और नया चेहरा लेकर। बाबा की पहली पारी के सुखद परिणाम के तौर पर दूसरी पारी भी उन्हीं के हिस्से है। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं और भलीभांति जानते हैं कि राजनीतिक तौर पर देखें तो उनके हाथ देश का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है, यही कारण है कि विकास को लेकर उनका अपना चिंतन है, अपना तरीका है और अपनी सोच है। रही बात उनके चहेतों की तो उत्तर प्रदेश के अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी बाबा के बहुतायत समर्थक हैं। बहरहाल उनके नेतृत्व वाले यूपी को लेकर कहा जाने लगा है कि ये नया यूपी है।
यहां सबकुछ बहुत अनूठा है
यूपी के चुनावी अंदाज पर पूरे देश की नजर रहती है क्योंकि यहां सबकुछ बहुत अनूठा है, लेकिन एक बात जो महत्वपूर्ण है यहां चुनावी रंग जब चढ़ता है तो पूरा प्रदेश उसमें आपको रंगा हुआ नजर आता है। दूसरी भी पार्टियां हैं और उनकी भी अपनी चुनावी तैयारियां हैं उन पर भी बात करेंगे लेकिन पहले बात प्रदेश के सरकार के मुखिया बाबा योगी आदित्य नाथ की।
अजय सिंह बिष्ट से बने महंत योगी आदित्यनाथ
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में Yogi Adityanath का 5 जून 1972 को जन्म हुआ, मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट और माता का नाम सावित्री देवी है। 1977 में टिहरी के गजा के स्कूल में पढ़ाई शुरू की, 1989 में ऋषिकेश के श्री भरत मन्दिर इण्टर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। 1992 में श्रीनगर के हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से इन्होंने बीएससी की। 1993 में एमएससी की पढ़ाई के दौरान ही गुरु गोरखनाथ पर शोध करने ये गोरखपुर आए। गोरखपुर में अपने चाचा महंत अवैद्यनाथ की शरण में ही चले गए और दीक्षा ले ली। 1994 में ये पूर्ण संन्यासी बन गए जिसके बाद इनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। 12 सितंबर 2014 को उन्हें गोरखनाथ मंदिर का महंत बनाया गया, उन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया।
राजनीति में प्रवेश- सबसे युवा सांसद बनने का गौरव
बाबा योगी आदित्यनाथ का राजनीति में प्रवेश 1998 में हुआ वे भाजपा प्रत्याशी के तौर पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लडे़ और विजयी हुए हालांकि इस आरंभिक चुनाव में उनकी जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं था लेकिन इसके बाद के सभी चुनावों में उनकी जीत का अंतर काफी अधिक था। वे जब पहली बार चुनाव लड़कर जीतकर पहुंचे तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी, वे उस समय सबसे युवा सांसद थे। 1999 में वे पुनः गोरखपुर से चुनाव जीते। 2004 में लोकसभा का चुनाव जीता। 2009 में ये 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे। 2014 में एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर ये सांसद बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला। इसके बाद उनकी प्रदेश में वापसी हुई और विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद 19 मार्च 2017 को उन्हें भाजपा विधायक दल की बैठक में नेता चुना गया और इस तरह वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद बने, इसके बाद 2022 में हुए विधानसभा चुनाव बाबा योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही लड़ा गया और भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। राजनीति के जानकार बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में 37 वर्ष बाद ऐसा हुआ कि पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले दल की ही दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी हो। इस जीत का श्रेय पार्टी के साथ उनके अपने प्रयासों को, सरकार के कार्यों को ही दिया गया।
भरोसे का संचार, राह हुई आसान
ऐसा कहा जाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में पूर्व के वर्षों में यूपी में कारोबार को लेकर बहुत सहज माहौल और सहज प्रतिक्रियाएं नहीं होती थीं, एक पशोपेश मन के भीतर इस प्रदेश का नाम सुनते ही शुरू हो जाया करता था, लेकिन अब सबकुछ बदला सा है। योगी आदित्यनाथ ने जब से सत्ता संभाली है यहां प्रदेश को लेकर देश के दूसरे राज्यों में एक सुखद भरोसे का संचार हुआ है। ये बातें अब दूसरे प्रदेशों में रहने वालों से सुनकर हर्ष होता है कि ये अब नया यूपी है। यही कारण है कि यूपी में अब कारोबारी संभावनाएं काफी प्रबल हैं, सरकारी तौर पर भी कारोबार के लिए राह आसान बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। काफी योजनाएं भी लागू हुई हैं जिनके साथ यहां विकास की नई राह खुली हैं।
महत्वपूर्ण हैं 2024 लोकसभा चुनाव
जैसा कि सभी जानते हैं कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, केंद्र में सरकार बनाने के लिए यूपी जीतना कितना महत्वपूर्ण हो जाता है और यूपी की जीत केंद्र में सरकार बनाने के लिए कितनी जरुरी है यह सभी जानते हैं। सभी दल यूपी को लेकर अपनी अपनी तैयारियों में जुटे हैं। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है और आने वाले चुनाव को लेकर सभी की निगाह Yogi Adityanath पर टिकी हैं। परिणाम तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन बाबा योगी आदित्यनाथ का अपना तरीका है वे अपने प्रदेश के विकास के अपने मिशन पर पूरी ताकत से डटे हुए हैं, वे स्वयं भी जानते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव में जीत कितनी महत्वपूर्ण है और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन भाजपा की उम्मीद बंधाता है कि उसके लिए राह मुश्किल नहीं होगी। बहरहाल सभी को भविष्य के परिणाम का इंतजार है, लेकिन ऐसे गीतों के भाव यदि समझें तो प्रदेश में बाबा का राज एक भरोसा, सुरक्षा और उम्मीद बंधाता है।