हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में एडीए की सरकार गठित हो चुकी है, भाजपा को इस बार अकेले अपने दम पर सरकार बनाने का बहुमत नहीं मिल पाया लेकिन एनडीए के समर्थित दलों के सहयोग से सरकार गठित हो चुकी है। इस सरकार पर लिखने और बात करने को काफी कुछ है लेकिन सबसे पहले हम बात करेंगे मध्यप्रदेश के चर्चित और ख्यात मुख्यमंत्री रह चुके Shivraj Singh Chauhan पर। उन्हें इस नई सरकार में कृषि मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। यह नई जिम्मेदारी उनके लिए चुनौती भी है और अवसर भी। ऐसी उम्मीद है कि जैसा उनका अंदाज है, जैसे उनका सीधा संपर्क किसानों से है वे यहां इस नई भूमिका में भी हिट रहने वाले हैं।
वह भी एक चुनौती थी
शिवराज सिंह चौहान जब पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब उन्हें भाजपा नेत्री उमा भारती द्वारा खड़ी की गई सत्ता का मुखिया बनने का अवसर मिला था, यहां सभी कयास लगा रहे थे कि शिवराजसिंह चौहान शायद सफल नहीं हांगे क्योंकि इससे पहले वे राजनीति में पूर्ण रुप से नहीं उतरे थे लेकिन वह भी एक चुनौती थी और उसे उन्होंने अवसर बनाया और चार बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनकर सभी के दिलों पर छा गए।
वे जीत का विकल्प
वे मध्यप्रदेश के एकमात्र ऐसे नेता रहे जिन्हें अपने मतदाताओं से अपने प्रदेशवासियों से सीधे संवाद करने में आनंद आता था, उन्होंने मप्र में एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत की। मध्यप्रदेश में वे भाजपा के लिए जीत का विकल्प बन चुके थे। समय बदलता रहा और लोकप्रियता भी बढ़ती गई। शिवराजसिंह चौहान के प्रभाव की धमक दिल्ली तक पहुंच रही थी।
कृषि मंत्रालय उनके नेतृत्व में नई राह अवश्य पाएगा
हुआ ये कि बीते विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा के आलाकमान ने मध्यप्रदेश की राजनीति में बदलाव किया और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराजसिंह चौहान की जगह डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया। यहां ऐसा लगा जैसे शिवराजिंसंह चौहान हाशिये पर धकेल दिए गए हैं, लेकिन आलाकमान ने ऐसा नहीं सोचा। उनके लिए कुछ और ही सोचा गया, भाजपा आलाकमान उन्हें राष्ट्रीय स्तर की राजनीति का हिस्सा बनाना चाहता था और इसीलिए उन्हें इस बार लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया और वे शानदार जीत के साथ दिल्ली पहुंचे। अब उन पर नई जिम्मेदारी है और कृषि मंत्री के तौर पर उन्हें एक महत्वपूर्ण मंत्रालय मिला है लेकिन दूसरी ओर यह भी सोचना चाहिए कि यह उनका महत्वपूर्ण मंत्रालय भी है क्योंकि किसानों और ग्रामीणों से सीधे संवाद वाले उनके अंदाज के ही कारण वे मध्यप्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। देखना सुखद होगा कि केंद्र में शिव अपना राज कैसे चलाते हैं वैसे वे अपनी काबिलियत के दम पर केंद्र के महत्वपूर्ण मंत्रालय तक पहुंचे हैं, कृषि मंत्रालय उनके नेतृत्व में नई राह अवश्य पाएगा।