Amit ShahAmit Shah

भारत के वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) भाजपा को मौजूदा दौर में सत्ता में यहां तक पहुंचाने वाले प्रमुख महत्वपूर्ण रणनीतिकार माने जाते रहे हैं, उन्हें मौजूदा भाजपा के लिए राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है, उनकी राजनीतिक बिसात और राजनीतिक समझ का ही परिणाम है कि भाजपा सतत जीत की ओर अग्रसर है और देश के साथ प्रदेशों में भी भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। विरोधी भी उनकी संगठनात्मक समझ और संगठनात्मक संरचना बनाने की तारीफ तो दबे जुबान अवश्य करते ही हैं, यही कारण है कि पार्टी को जीत तक ले जाने का श्रेय उन्हीं के लिए हिस्से प्रमुखता से जाता है और अब तक उनकी रणनीति भी पूरी तरह सफल रही है।

पहला बड़ा अवसर आडवाणी के चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला

अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को हुआ, मेहसाणा में आरम्भिक शिक्षा के बाद जैव रसायन (बॉयो केमिस्ट्री) की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आ गए, राजनीति में आने से पहले वे मनसा, गुजरात में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक व्यवसाय संभालते थे। 1982 में कॉलेज के दिनों में ही शाह की भेंट नरेंद्र मोदी से हुई। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन को राजनीतिक की दिशा मिलनी आरंभ हुई। पंद्रह साल की उम्र में शाह हिंदू राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य बन गए। 1987 में तेजी से उभरने के बाद वह आरएसएस के पूर्णकालिक हो गए। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। Amit Shah ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में उन्हें गुजरात में भाजपा का महासचिव नामित किया गया। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक उन्होने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाला।

भाजपा की जीत के शिल्पकार

उन्हें भाजपा में जीत का शिल्पकार भी कहा जाता है, जब से उनके हाथ भाजपा की कमान आई भाजपा जीत का परचम लहरा रही है। 2002 के गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत में शाह एक प्रमुख कारक थे। इसके अलावा, उन्हें 2007 में गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का श्रेय मिला। शाह को 2009 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव नामित किया गया था। 2014 के आम चुनाव में चुनावों में, उन्होंने पार्टी के चुनावी अभियान की निगरानी की। पार्टी को भारी बहुमत से जीत दिलाने के लिए शाह की रणनीति को ही श्रेय मिला। 2014 में, शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नामित किया गया था। भाजपा ने कई राज्यों में सरकारें स्थापित की हैं और उनके निर्देशन में कई चुनाव जीते हैं। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की जीत का श्रेय भी शाह को दिया जाता है। वे वर्ष 2014 से 2017 और फिर 2017 से 2020 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। उनके बाद जगत प्रकाश नडडा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वर्तमान में अमित शाह केंद्र सरकार में गृह मंत्री हैं। भाजपा की आर्थिक नीतियों के भी प्रबल समर्थक हैं। उनका मैजिक देखिएगा कि उन्हें सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 माह पूर्व शाह दिनांक 12 जून 2013 को भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, तब प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थी। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की। प्रदेश में भाजपा की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। इस करिश्माई जीत के शिल्पकार अमित शाह रहे, उनका कद पार्टी के भीतर इतना बढ़ा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का पद प्रदान किया गया।

प्रखर नेतृत्व और गहरी संगठनात्मक समझ

शाह ने बीजेपी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने पार्टी की कार्यक्षमता में सुधार किया है और इसकी संरचना को आधुनिक बनाया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पार्टी के प्रभाव को ग्रामीण भारत जैसे नए क्षेत्रों में भी बढ़ाया है। शाह के नेतृत्व में भाजपा की लोकप्रिय बढ़ी। भारत के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से वे एक हैं। वह अपनी प्रखर संगठनात्मक और राजनीतिक समझ के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भाजपा को प्रमुखता से आगे बढ़ाने और भारत की अग्रणी राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक और महत्वपूर्ण तथ्य जो सामने आता है वह यह है कि 1989 से 2014 के बीच शाह गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वे एक भी चुनाव में पराजित नहीं हुए। उनकी लोकप्रियता भाजपा में तेजी से बढ़ती ही जा रही है, देश और राज्यां में उनकी संगठनात्मक पकड़ बहुत गहरी है और इसका प्रमाण अनेक बार देखा भी जा चुका है।

भाजपा का प्रयोगवादी दौर

वर्तमान दौर भाजपा की जीत का है, अपार सफलता है तो यह दौर पार्टी के प्रयोगों का भी माना जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व चाहे अमित शाह के पास रहा हो या फिर जगत प्रकाश नड़्डा के हाथों में बागडोर हो लेकिन प्रयोगों का क्रम जारी है, उदाहरण के तौर पर देखें तो पार्टी के भीतर उम्र को लेकर एक दायरा तय किया गया है, इसके बाद महत्वपूर्ण पदों पर बेहद सामान्य से पार्टी कार्यकर्ताओं को अवसर मुहैया करवाने का प्रयोग इसके अलावा यह भी स्पष्ट संकेत देने का प्रयोग कि पार्टी ही बड़ी और सर्वेसर्वा होती है और बीते दौर में यह सब प्रयोग देखे भी गए हैं, हालिया हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में भाजपा आलाकमान ने एक और प्रयोग की नजीर पेश करते हुए वहां के चर्चित चेहरों और पूर्व में मुख्यमंत्री रहे वरिष्ठ नेताओं की जगह नए चेहरों को अवसर प्रदान किया गया, इसके पीछे पार्टी का जो भी चिंतन रहा हो लेकिन यह एक प्रयोग भी अवश्य माना जा रहा है, प्रयोग करने का दौर भी अमित शाह के अध्यक्ष रहते ही पूरी ताकत से क्रियान्वित किया गया। बहरहाल अब तक भाजपा की राजनीति और रणनीति सभी सटीक साबित हुई हैं क्योंकि हर बार जीत का परचम लहराया है लेकिन 2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी आलाकमान क्या नई रणनीति अपनाता है, क्या नया प्रयोग करता है यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन यह सच है कि जब भी भाजपा के मौजूदा दौर की राजनीतिक सफलता की होगी तो आम अमित शाह का नाम अवश्य उल्लेखित करेंगे।

By Sandeep Kumar Sharma

25 years of journalism in famous Newspapers of the country. During his Journalism career, he has done many stories on Environment, Politics and Films, currently editing the monthly magazine 'Prakriti Darshan', Blogging on Politics, environment and Films. Publication of five books on nature conservation till now.

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