मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी है और मंत्रिमंडल का भी गठन हो चुका है, मध्यप्रदेश में भाजपा की राजनीति की बात करेंं तो बीते वर्षो में Kailash Vijayvargiya ने एक गहरे राजनीतिक रणनीतिकार की भूमिका निभाई है, उनके राजनीतिक और रणनीतिक कौशल से भाजपा को फायदा ही हुआ है, उनके नजदीकी बताते हैं कि हम यदि उन्हें एक नेतृत्वकर्ता के तौर पर देखें तो विकास को लेकर उनका अपना गहरा चिंतन है और इंदौर शहर इस बात का सबूत है क्योंकि मेयर बनने के बाद इंदौर को जो नया चेहरा मिला वह उन्हीं के प्रयासों और चिंतन का नतीजा था उनके विकास के मॉडल की न केवल भारत में वरन पूरी दुनिया में प्रशंसा हुई और यही कारण रहा कि उन्हें दुनिया के विकसित देशों ने आमंत्रित किया और पुरस्कृत भी। उनकी राजनीति के आरंभिक दौर से उन्हें उनके क्षेत्र में विकास पुरुष का एक टैग मिला है जिस पर वे हर बार खरे उतरते आए हैं, बात पार्टी में चुनावी रणनीति की हो या नगर विकास की वे स्वयं को सौंपी गई जिम्मेदारी को बेहतर दिशा की ओर ही ले गए हैं, समय और सफलता के आंकडे़ इसके साक्षी हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रहते हुए उन्होंने वरिष्ठ नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा और गहरा प्रभाव भी छोड़ा। मौजूदा समय में वे मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय विकास और आवास तथा संसदीय कार्य मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा ने उन्हें जब भी कोई जिम्मेदारी दी है उन्होंने उसे पूरी लगन और निष्ठा से पूरा किया है, उन्होंने ‘स्थानीय स्टार से राजनीतिक रणनीतिकार तक’ के सफर में हरेक पढ़ाव में अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
मिलें और समझें कि वे क्या हैं
मेरा मानना है कि Kailash Vijayvargiya को समझने के लिए उनसे मिलना जरुरी है, यदि आप केवल उन्हें पढ़ना चाहते हैं तो उनकी सफलता के आंकड़े आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे लेकिन यदि आप वाकई ये परखना चाहते हैं कि उनकी उस सफलता के पीछे का प्रमुख कारण क्या है तो इसके लिए आपको उनसे सीधे मुलाकात करनी चाहिए और तब आप यह भलीभांति समझ पाएंगे कि उनका सरल व्यवहार, उनकी गहरी याददाश्त, उनकी कार्यकर्ताओं में गहरी पकड़, एक बार मिलने के बाद अगली बार सहज ही पहचानकर मुस्कुराकर मिलने का अंदाज आपको बताएगा कि वे क्यों मध्यप्रदेश और विशेषकर इंदौर की राजनीति में विशेष चहेते के तौर पर अपना स्थान बना चुके हैं। राजनीति की गहरी समझ का ही फायदा रहा कि पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी जिसका निर्वहन उन्होंने पूरी निष्ठा से किया और सफलता भी दिलवाई।
13 मई 1956 को इंदौर, मप्र में जन्में कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक जीवन जहां सफलता का शीर्ष छू चुका है वहीं उनकी स्पष्ट बयानी अनेक बार विवाद भी खड़े कर दिया करती है, लेकिन यह उनका अपना अंदाज है और इसी अंदाज के साथ वे राजनीति करते आए हैं। 1975 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से राजनीति में आए और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, बेहतर करते गए और बेहतर सम्मान पाते गए।
इंदौर को दिया नया चेहरा
बात उनके राजनीतिक करियर की करें तो जब वे इंदौर के मेयर बने उसके बाद अपने चिंतन और प्लानिंग से इंदौर को नया चेहरा प्रदान किया। Kailash Vijayvargiya वर्ष 2000 में इंदौर म्युनिसिपल कारपोरेशन में महापौर पद पर चुने गए और यहीं से उनके विकास के मॉडल को देश और दुनिया ने समझा। इंदौर आज विकास के जिस पायदान पर खड़ा है इसकी शुरुआत का श्रेय कैलाश विजयवर्गीय के हिस्से जाता है। उनके मेयर बनने से पहले का इंदौर कुछ और ही था उनके मेयर बनने के बाद का इंदौर अलग सा हो गया। एक विकसित नगर की अवधारणा कैसे क्रियान्वित की जाती है यह उन्होंने ही समझाया। इंदौर में मेयर के तौर पर कार्य करते हुए विकास का जो मॉडल उन्होंने सभी के समक्ष रखा इससे उन्हें राजनीतिक तौर पर राष्ट्रीय और वैश्विक ऊंचाईयां हासिल हुईं। यही कारण था कि वे पार्टी के लिए पहले मध्यप्रदेश में और बाद में राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां तक पहुंच गए। इंदौर के विकास के मॉडल पर यदि आप वहां के रहवासियों से सीधी चर्चा करेंगे तो आप पाएंगे कि अधिकांश व्यक्ति उस नए चेहरे का श्रेय कैलाश विजयवर्गीय को ही देंगे लेकिन उनके उस विकास को इंदौर में बने अगले सभी मेयरों ने आगे आगे बढ़ाया और अब इंदौर इस देश का महत्वपूर्ण शहर के तौर पर सम्मान पाता है।
दुनिया के देशों तक पहुंचा सुधार का मॉडल
जब वे इंदौर के महापौर बने तो उसी वर्ष उनका मनोनयन अखिल भारतीय महापौर परिषद् के उपाध्यक्ष और फिर अध्यक्ष पद के लिए किया गया। होनोलुलू में विश्व महापौर सम्मलेन में उन्हें सर्वश्रेष्ठ महापौर का सम्मान दिया गया, उसी वर्ष उन्हें विश्व पृथ्वी सम्मलेन की प्रिपरेशन समिति के सदस्य के रूप में चीन में आमंत्रित किया गया। उनके द्वारा किए गए श्रेष्ठ पर्यावरण सुधारों के कारण वर्ष 2002 में इंदौर शहर को स्वच्छ नगर, हराभरा नगर का अवार्ड दिया गया। उसी वर्ष में शहरी विकास में जन भागीदारी संबंधी उनके अनुभव जानने के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने उन्हें आमंत्रित किया था। कुछ समय पश्चात भागीदारी के आधार पर शहरी विकास हेतु एक समझौते के लिए गार्लेंड सिटी, अमेरिका से उन्हें आमंत्रित किया गया। वर्ष 2003 में वे दक्षिण एशिया महापौर परिषद के अध्यक्ष मनोनित हुए और विश्व पृथ्वी सम्मेलन, डरबन में उन्होंने भारतीय स्वयंसेवी संगठन की टीम का नेतृत्व भी किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2006 में तय मिलेनियम के विकास लक्ष्य पूरे करने हेतु जन धारणा बनाने के महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए उन्हें सम्मानित किया। उनके प्रयासों के कारण ही वर्ष 2007 में मध्यप्रदेश को सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में तीन सम्मानजनक अवार्ड मिले। इसके अलावा उन्हें भवन उद्योग नेतृत्व अवार्ड भी मिल चुका है।
जगह बदली, विकास वहां भी हुआ
विधानसभा चुनावों की बात करें तो वे अब तक जितने भी चुनाव लडे़ हैं सभी जीते हैं और खासियत यह है कि जिस भी क्षेत्र से वे चुनाव लडे़ उस हिस्से में विकास भी करवाया, उस क्षेत्र का कायाकल्प भी किया। श्री विजयवर्गीय मध्यप्रदेश में विधानसभा के लिए लगातार वर्ष 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013 और अब 2023 में जीत हासिल की। विधानसभा चुनावों में उन्हें कभी भी हार नहीं मिली वे सतत जीतते रहे। वैसे उनका चुनाव लड़ने का अंदाज भी अनूठा है और यह बात उनके चुनाव क्षेत्र के मतदाता भी जानते हैं, विशेषकर जब भी इंदौर से चुनाव लड़े तो वे अमूमन आम प्रत्याशियों की तरह चुनाव प्रचार नहीं करते थे, बल्कि अनूठे तरीके से भजन गाते हुए प्रचार किया करते थे, कार्यकर्ताओं का हुजूम उनके इस अंदाज का दीवाना था। जब पार्टी ने उनके विधानसभा क्षेत्र को बदलकर उन्हें आदेश दिया कि कांग्रेस की सुरक्षित मानी जाने वाली सीट महू से चुनाव मैदान में उतरें तो सभी कयास लगा रहे थे संभवतः यह चुनाव कैलाश विजयवर्गीय और भाजपा के लिए कठिन साबित होने वाला है, उन्होंने पार्टी के आदेश को सहज स्वीकार करते हुए महू से चुनावी मैदान में उतरे और वहां से भी जीत हासिल की। महू केंट एरिया होने के कारण यह धारणा व्यक्त की जाती थी कि वहां कैलाश विजयवर्गीय के लिए विकास करना आसान नहीं होगा लेकिन महू के क्षेत्रवासी इस बात के गवाह बने कि उन्होंने महू में भी विकास के रास्ते खोले और अपनी गहरी छाप वहां भी छोड़ी। इसके बाद हालिया वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पार्टी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतरने के लिए आदेशित किया और वे चुनाव लडे़ और शानदार तरीके से जीत भी दर्ज की और इस तरह उन्होंने चुनाव जीतने का सिलसिला कायम रखा।
उनका चुनावी कौशल
उनमें गहरी राजनीतिक समझ है और वे एक अच्छे रणनीतिकार हैं यह बात भाजपा भी बखूबी समझती है और यही कारण है कि उन्हें जब हरियाणा राज्य विधानसभा चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई तब उनकी कुशल रणनीति से पार्टी ने राज्य में 4 सीटों से बढ़कर 47 सीटें हासिल करते हुए जीत दर्ज की। यह उनके रणनीतिक कौशल का ही परिणाम रहा। इस जीत के बाद उनके राजनीतिक करियर को देखते हुए पार्टी ने उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया और उन्हें साथ ही पश्चिम बंगाल राज्य में विधानसभा चुनाव का भी प्रभार सौंपा गया। यहां भी उनकी रणनीति काम आई और भाजपा पूर्व के वर्षो से अधिक सीटें यहां प्राप्त करने में कामयाब हुई और उनका कद और अधिक बढ़ गया।
राजनीति में नाम के अनुरूप ही हैं
यह कैलाश विजयवर्गीय की खासियत है कि उन्हें जब भी जो जिम्मेदारी सौंपी गई उन्होंने उसे पूरी तत्परता से निभाया और यही कारण रहा कि बात सत्ता की हो या संगठन की उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। अबकी उनके पास जो मंत्रालय है वे पहले भी उनके पास रहा है और निश्चित ही यह उम्मीद की जा रही है कि अबकी प्रदेशवासी उनके विकास की धमक देखेंगे। उनके चाहने वाले कहा करते हैं कि वे राजनीति में नाम के अनुरूप ही हैं कैलाश की तरह विशाल। यह देखना अभी बाकी है कि पार्टी उन्हें भविष्य में किस भूमिका में देखती है, अभी फिलहाल वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं और विधायक बनने के बाद राष्टीय महासचिव पद से इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को सौंप चुके हैं, इतिहास गवाह है कि वे दो कदम पीछे आने के बाद चार कदम आगे की सफलता हासिल कर सामने आ धमकते हैं, अभी तो भविष्य में उनकी राजनीति की दिशा का इंतजार करना चाहिए।